तेरा वैभव अमर रहे मां हम दिन चार रहें न रहें

कभी विश्व गुरु रहे भारत की धर्म संस्कृति की पताका, विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये कभी श्रापित हनुमान अपनी शक्तिओं का विस्मरण कर चुके थे, जामवंत जी के स्मरण कराने पर वे राक्षसी शक्तियों को परास्त करते हैंआज अपनी संस्कृति, परम्पराएँ, इतिहास, शक्तियों व क्षमताओं को विस्मृत व कलंकित करते इस समाज को विश्व कल्याणार्थ राह दिखायेगा युग दर्पण सार्थक और सटीक जानकारी का दर्पण तिलक (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS 09911111611, 9999777358.

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Friday, December 31, 2010

अंग्रेजी का नव वर्ष, भले ही मनाएं

अंग्रेजी का नव वर्ष, भले ही मनाएं

 "अंग्रेजी का नव वर्ष, भले ही मनाएं; उमंग उत्साह, चाहे जितना दिखाएँ; चैत्र के नव रात्रे, जब जब भी आयें; घर घर सजाएँ, उमंग के दीपक जलाएं; आनंद से, ब्रह्माण्ड तक को महकाएं; विश्व में, भारत का गौरव बढाएं " अंग्रेजी का नव वर्ष 2011, व वर्ष के 365 दिन ही मंगलमय हों, भारत भ्रष्टाचार व आतंकवाद से मुक्त हो, हम अपने आदर्श व संस्कृति को पुनर्प्रतिष्ठित कर सकें ! इन्ही शुभकामनाओं के साथ, भवदीय.. तिलक संपादक युगदर्पण राष्ट्रीय साप्ताहिक हिंदी समाचार-पत्र. 09911111611. 

Bangla... 

অংগ্রেজী কা নব বর্ষ, ভলে হী মনাএং 

 "অংগ্রেজী কা নব বর্ষ, ভলে হী মনাএং; উমংগ উত্সাহ, চাহে জিতনা দিখাএঁ; চৈত্র কে নব রাত্রে, জব জব ভী আযেং; ঘর ঘর সজাএঁ, উমংগ কে দীপক জলাএং; আনংদ সে, ব্রহ্মাণ্ড তক কো মহকাএং; বিশ্ব মেং, ভারত কা গৌরব বঢাএং " অংগ্রেজী কা নব বর্ষ 2011, ব বর্ষ কে 365 দিন হী মংগলময হোং, ভারত ভ্রষ্টাচার ব আতংকবাদ সে মুক্ত হো, হম অপনে আদর্শ ব সংস্কৃতি কো পুনর্প্রতিষ্ঠিত কর সকেং ! ইন্হী শুভকামনাওং কে সাথ, ভবদীয.. তিলক সংপাদক যুগদর্পণ রাষ্ট্রীয সাপ্তাহিক হিংদী সমাচার-পত্র. 09911111611. 
Tamil... அஂக்ரேஜீ கா நவ வர்ஷ, பலே ஹீ மநாஏஂ
 "அஂக்ரேஜீ கா நவ வர்ஷ, பலே ஹீ மநாஏஂ; உமஂக உத்ஸாஹ, சாஹே ஜிதநா திகாஏஂ; சைத்ர கே நவ ராத்ரே, ஜப ஜப பீ ஆயேஂ; கர கர ஸஜாஏஂ, உமஂக கே தீபக ஜலாஏஂ; ஆநஂத ஸே, ப்ரஹ்மாண்ட தக கோ மஹகாஏஂ; விஸ்வ மேஂ, பாரத கா கௌரவ படாஏஂ " அஂக்ரேஜீ கா நவ வர்ஷ 2011, வ வர்ஷ கே 365 திந ஹீ மஂகலமய ஹோஂ, பாரத ப்ரஷ்டாசார வ ஆதஂகவாத ஸே முக்த ஹோ, ஹம அபநே ஆதர்ஸ வ ஸஂஸ்கர்தி கோ புநர்ப்ரதிஷ்டித கர ஸகேஂ ! இந்ஹீ ஸுபகாமநாஓஂ கே ஸாத, பவதீய.. திலக ஸஂபாதக யுகதர்பண ராஷ்ட்ரீய ஸாப்தாஹிக ஹிஂதீ ஸமாசார-பத்ர. 09911111611.
"One may celebrate even English New Year, with exaltation and excitement; Chaitra Nav Ratre whenever it comes; decorate house, enlighten with lamps of exaltation; enjoy, even enrich the universe with Happiness; Increase the India's pride in the world, English New Year 2011 and all the 365 days of the year are auspicious, May India be free of corruption and terrorism, we can ReEstablish Ideals, values and culture ! with these good wishes, Sincerely .. Tilak editor YugDarpan Hindi national weekly newspaper. 09,911,111,611.
"Angrezi ka nav varsh, bhale hi manayen; umang utsah, chahe jitna dikhayen; chaitr ke nav ratre, jab jab bhi ayen; ghar ghar sajayen, umang ke deepak jalayen; Anand se, brahmand tak ko mahkayen; Vishva mein, Bharat ka gaurav badayen." Angrezi ka nav varsh 2011, v varsh ke 365 din hi mangalmay hon, Bharat bhrashtachar v atankvad se mukt ho, ham apne adarsh v sanskrutiko punrpratishthit kar saken ! inhi shubhakamanaon ke sath, bhavdiya.. Tilak Sampadak Yug Darpan Rashtriya Saptahik Hindi Samachar-Patra. 09911111611.

पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है-युगदर्पण

कभी विश्व गुरु रहे भारत की धर्म संस्कृति की पताका,विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये!- तिलक

Saturday, December 18, 2010

काकोरी कांड (क्या भारत आजाद है ?)

काकोरी कांड (क्या भारत आजाद है ?)

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों द्वारा चलाए जा रहे इस संग्राम
को गति देने के लिए धन की तत्काल व्यवस्था की आवश्यकता के कारण शाहजहाँपुर में हुई बैठक
के मध्य राजेन्द्रनाथ ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनाई।
इस योजना को कार्यरूप देने के लिए राजेन्द्रनाथ ने 9 अगस्त 1925 को
लखनऊ के काकोरी से छूटी 8 डाउन ट्रेन पर क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ और
ठाकुर रोशन सिंह व 19 अन्य सहयोगियों के सहयोग से धावा बोल दिया।
बाद में अंग्रेजी शासन ने सभी 23 क्रांतिकारियों पर काकोरी कांड के नाम पर
सशस्त्र युद्ध छेड़ने तथा खजाना लूटने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ,
रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा रोशन सिंह को फाँसी की सजा सुनाई गई।
!! 
आज है, 19 दिसंबर 1927 का वह दिन जब 'काकोरी कांड' के क्रांतिकारियों को फांसी दी गयी.
आइये उनका स्मरण करते हैं !! 

काकोरी जो लखनऊ जिले में एक छोटा सा गाँव हैं. स्वतंत्रता संग्राम को कुचलने भेजी
बंदूके और धन रोकने हेतु अंग्रेजो की ट्रेन को यहाँ लूटा गया इसलिए इसका
नाम काकोरी ट्रेन डकैती पड़ा. सबसे पहले राजेंद्र लाहिड़ी को 17 दिसंबर सन
1927 को गोंडा जिले (उत्तर प्रदेश) में फांसी दी गयी. ट्रेन को लूटने में
कुल 10 क्रन्तिकारी साथी थे. किन्तु जब गिरफ्तारियां हुई तो 40 से भी अधिक
लोग पकडे गए. कुछ तो निर्दोष थे. अशफाक उल्ला और बख्शी लाल तुरंत नहीं
पकडे जा सके. अंग्रेजी शासन ने इस मुकदमे में 10 लाख रुपये से भी अधिक व्यय किया.
बनवारी लाल ने गद्दारी की और इकबालिया गवाह बन गया. इसने सभी
क्रांतिकारियों को पकड़वाने में अंग्रेजो की सहायता की. इसे भी 5 वर्ष की
सजा हुई. 18 महीने तक मुक़दमा चला पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र
लाहिड़ी और रौशन सिंह को फांसी की सजा हुई. राजेंद्र लाहिड़ी की 'अपील को
प्रीवी काउन्सिल' ने अस्वीकार कर दिया. शचींद्र नाथ सान्याल को कालेपानी की
सजा हुई. बाद में पकडे गए अभियुक्तों में अशफाक उल्ला को फैजाबाद जिले में 19 दिसंबर को
फांसी हुई और बख्शी लाल को कालेपानी की सजा हुई.
...अशफाक उल्ला बड़ी ख़ुशी के साथ कुरान - शरीफ का बस्ता कंधे से टांगे हुए हाजियों
( जो हज करने जाते हैं ) कि भांति 'लवेक' कहते और कलाम पढ़ते हुए फांसी के
तख्ते के पास गए. तख्ते को उन्होंने चूमा और सामने खड़ी भीड़ से कहा ( जो
उनकी फांसी को देखने आई हुई थी ) "मेरे हाथ इंसानी खून से कभी नहीं
रगें, मेरे ऊपर जो इलज़ाम लगाया गया वह गलत हैं. खुदा के यहाँ मेरा इन्साफ
होगा" ! इतना कह कर उन्होंने फांसी के फंदे को गले में डाला और खुदा का नाम
लेते हुए दुनिया से कूच कर गए.
उनके रिश्तेदार, चाहने वाले शव को शाहजहांपुर ले जाना चाहते थे.
बड़ी मिन्नत करने के बाद अनुमति मिली इनका
शव जब लखनऊ स्टेशन पर उतारा गया , तब कुछ लोगो को देखने का अवसर मिला.
चेहरे पर 10 घंटे के बाद भी बड़ी शांति और मधुरता थी बस आँखों के नीचे कुछ
पीलापन था. शेष चेहरा तो ऐसा सजीव था जैसे कि अभी अभी नींद आई
हैं, यह नींद अनंत थी. अशफाक कवि भी थे उन्होंने मरने से पहले शेर लिखा था
- "तंग आकर हम भी उनके जुल्म के बेदाद से !
चल दिए अदम ज़िन्दाने फैजाबाद से !!
ऐसे क्रांतिकारियों को मेरा कोटि कोटि प्रणाम !"
प्रश्न उठता है क्या भारत आजाद है? अंग्रेज़ी शासन व इस शासन में अंतर है ?
इसे देख दोनों प्रश्नों के उत्तर में कोई भी कहेगा - नहीं 

अंग्रेज़ी शासन में भी देश भक्तों व उनके समर्थकों तक को प्रताड़ित किया जाता था,
तथा शासन समर्थकों को राय साहब की पदवी व पुरुस्कार मिलते थे ?
आज भी शर्मनिरपेक्ष शासन में देश भक्तों को भगवा आतंक कह प्रताड़ित तथा
अफज़ल व आतंकियों को समर्थन, कश्मीर के अल कायदा के कुख्यात आतंकवादी
 
गुलाम मुहम्मद मीर को राष्ट्र की अति विशिष्ठ सेवाओं के लिए " पद्म श्री " सम्मान ?
कभी विश्व गुरु रहे भारत की धर्म संस्कृति की पताका,विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये!- तिलक