तेरा वैभव अमर रहे मां हम दिन चार रहें न रहें

कभी विश्व गुरु रहे भारत की धर्म संस्कृति की पताका, विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये कभी श्रापित हनुमान अपनी शक्तिओं का विस्मरण कर चुके थे, जामवंत जी के स्मरण कराने पर वे राक्षसी शक्तियों को परास्त करते हैंआज अपनी संस्कृति, परम्पराएँ, इतिहास, शक्तियों व क्षमताओं को विस्मृत व कलंकित करते इस समाज को विश्व कल्याणार्थ राह दिखायेगा युग दर्पण सार्थक और सटीक जानकारी का दर्पण तिलक (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS 09911111611, 9999777358.

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Friday, December 5, 2014

भगवा दिवस 6 दिस का औचित्य

भगवा दिवस 6 दिस का औचित्य
भूमिका आइये सर्वप्रथम रामजन्म भूमि का संक्षिप इतिहास जान लेते हैं। फिर इस पर 30 वर्ष की बकवास बाबरी और 6 दिस भगवा दिवस का औचित्य जानना समझना सरल होगा। जीवन में हम को कई बार घर बदलना पड़ता है किन्तु सारा विवरण नहीं केवल जन्म स्थल महत्वपूर्ण होता है। जन्म प्रमाण पात्र में जो स्थान लिखा है, उसे बदलना तो परिचय ही बदल देना हुआ।
मंदिरों को ध्वस्त कर बनाई गई, भारत की सभी मस्जिद का नहीं मुख्य 3000 में से मात्र 3 पर मुस्लिम सहमत हो जाते तो सौहार्द स्थापित हो सकता था।
किन्तु जिन्हे सौहार्द नहीं तुष्टिकरण चाहिए था, वे धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दू (छद्म) होकर भी हिन्दुओं को चोट पहुंचाते रहे। जिस खंडहर के लिए, वे हमें दावा छोड़ने की बात कहते रहे, वहां 45 वर्ष में कभी नमाज़ नहीं पढ़ी गई थी। फिर भी राम की जन्म स्थली अर्थात परिचय बदलने का दबाव हम पर बनाया गया। जबकि बाबरी निर्माण में हमारे सम्मान को कुचलने का भाव था, किन्तु उसे त्यागना न्यायपूर्ण तथा सौहार्द स्थापित करने हेतु आवश्यक था, नहीं किया गया। खंडहर के स्तम्भ या चोखट पर कहीं फूल पत्ती नहीं हिन्दू चिन्ह व मूर्ति उकेरी होना प्रमाण है मंदिर को ध्वस्त कर उसके अवशेष जोड़कर खड़ा किये बाबरी ढाँचे को मस्जिद या मुस्लिम पूजा स्थल नहीं कहा जा सकता था। मंदिर पुनरुत्थान का लम्बा आन्दोलन तथा बलिदान की श्रृंखला है।
हिन्दू मानमर्दन कलंक चिन्ह को मिटाकर भगवा का प्रथम संकेत 22 वर्ष पूर्व मिला था। किन्तु शर्मनिरपेक्ष उसे साकार नहीं होने दे रहे थे। आंदोलन के समय मंदिर कहीं और बनाने की बात करते रहे, ढांचा ध्वस्त होने पर उसे फिरसे बनाने अथवा उस विवादित स्थल पर विद्यालय, चिकित्सालय आदि कई विकल्प, केवल मंदिर को रोकने के लिए रखे गए। हाशिम अंसारी, मुस्लिम महिला फाउंडेशन, अयोध्या में राम मंदिर बनाने की पहल में साथ देने के  प्रयास तो उन शर्मनिरपेक्षों को कभी स्वीकार या सहन नहीं होते ? अब धुंध छंट रही है। सौहार्द स्थापित करने के हाशिम अंसारी, मुस्लिम महिला फाउंडेशन के इन प्रयासों के लिए, युगदर्पण परिवार की ओर से, इनका धन्यवाद तथा समस्त हिन्दुओं को बधाई एवं हार्दिक शुभकामनायें। http://raashtradarpan.blogspot.in/2014/12/6.html 
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कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका;
विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक

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