स्वप्नों का भारत :
कभी विश्वगुरु रहे भारत की वर्तमान स्थिति क्या है यहतो सर्वविदित ही है! इसे देखने का दृष्टिकोण, हमारी सोच व स्वार्थ/प्रेम सहित संस्कारों से प्रभावित परिणाम भिन्न हो सकते हैं ! प्रेमी युगल हो, भगवद प्रेमी हो या राष्ट्र प्रेमी उसे सपनों में तो बस वही दीखता है जिसे वो चाहता है! उसका प्रेम उसे सुन्दर रूप भी दिखाता है! आशंका कभी कभी आक्रांत भी करती है! इन्ही के बीच से नए मार्ग भी निकलते हैं! निरंतर प्रयास करते असुर भी विजयी होते हैं, देवता भी विजयी तभी होते है यदि वे सचेत रहें! हम इस तथ्य को स्वीकारें या नहीं ! इतिहास लेखन बदला जा सकता है किन्तु इतिहास नहीं, इतिहास के घटनाक्रम की सही जानकारी व सदुपयोग अपना मार्ग चयन कर सफलता सुगम करता है! मैकाले व उसकी अवैध वंशावली ने अंग्रेजों के जाने के बाद भी अग्रेजियत को बनाये रखने व हमारे मार्ग में कांटे बोने के लिए वो शिक्षा पद्धति व इतिहास लिख डाला जिससे हम प्रेरणा नहीं आत्मग्लानी से भर जाएँ! जिसे हम आज़ादी/अपना राज मानते हैं वास्तव में सत्ता में हमारी शक्ल के विदेशी मोहरे ही हैं! अंग्रेजों व अन्ग्रेज़िअत को ही पुष्ट करनेवाले मैकाले के मोहरे हैं! राष्ट्र पिता को जब पता लगा की मेरे (देश आजाद कराने वाले दल में) चहुँ ओर देश की जड़ें काटने को तैयार मंडली का वर्चस्व हो रहा है,तब अपने ही दल को भंग करने का सुझाव दे डाला,भले ही वो माना नहीं गया हो! परिणाम हमारे समक्ष है! जब कभी सुधार की प्रक्रिया इन पर दबाव बनाने लगती है तो उसे साम्प्रदायिकता की चिपकी लगा कर जन आन्दोलन को फुस्स करने का मंत्र इन्हें वामपंथियों से मिला मीडिया के सहयोग से सफल हुआ! देश की आज़ादी के नाम पर सत्ता में आकर देश का खून पीने वाले आम आदमी के नाम पर सत्ता में आये आम आदमी का खून पीने लगे! इसे समझ कर ही राष्ट्र के शत्रुओं को पहचान सकते हैं तभी हम स्वयं को व राष्ट्र को बचा सकते हैं किन्तु इतना समय किसके पास है! समय है तो सोच नहीं दोनों हैं उनकी संख्या व आपसी समन्वय नहीं! इसी समस्या का समाधान खोजने का प्रयास है यह मंच! चोर चोर मोसेरे भाई, एक दूसरे का पाप ढकने लगते हैं;चाहे स्वार्थवश ही सही किन्तु निस्वार्थी को अपने गुणों का दंभ दूसरे से भिन्न करता है जुड़ने नहीं देता! ऐसे ब्लागर्स को संकलक /एग्रेगेटर -देशकीमिटटी से जोड़ने का प्रयास पहले से ही चल रहा है!
स्वप्नों का भारत : मेरे स्वप्नों का भारत - हम सबके स्वप्नों का भारत! आओ मिलकर उसे बनायें!
1) वह कैसा है और उसका प्रारूप क्या है!
2) वह ऐसा श्रेष्ठ होने पर भी 1000 वर्ष अंधकार में क्यों भटकता रहा?
3) इस दिशा में क्या अन्य प्रयास भी हैं,परिणाम ?
4) उपरोक्त क्रम 2 व 3 को दोषमुक्त कर क्रम 1 को पूरा कैसे किया जायेगा?
सफलता का विश्वास : मेरे जीवन भर की तपस्या का अनुभव,अथक अनंत संघर्ष, आपका सहयोग व माँ भारती के प्रति हम सब का प्रेम यह सब कसोटी पर खरे उतरें तो सफलता को तो आना ही होगा !कभी विश्वगुरु रहे भारत की धर्म संस्कृति की पताका, विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये!- तिलक विस्तार से जानिए: तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, SvapnonKaBharat@Hotmail.com myspace- SvapnonKaBharat.spaces.live.com/
yugdarpanh@gmail.com, DeshKiMitti.FeedCluster.Com व ब्लागस्पाट.कॉम पर 25 ब्लाग की शृंखला MyBlogLog एक नया मंच SvapnonKaBharat.spaces.live.com/?lc=16393
भारत माँ के सपूतों का अपना मंच, केवल सत्ता परिवर्तन का मार्ग तो जेपी आन्दोलन से मिल गया! हमें उपरोक्त को ध्यान में रखते जो मैकाले ने किया उसका अमूल चूल परिवर्तन जो अनुकूल हो केवल उसे स्वीकारें! हम अपने लिए स्वार्थी न बनें किन्तु राष्ट्र व समाज के लिए महास्वार्थी बनें, अपने देश व समाज का हित में कभी नहीं त्याग सकता! मैंने तो मैकाले की इस बात को पकड़ा है, उसकी शिक्षा को नहीं! Join us to Bring VishvaGuru Back on Track.
स्वप्नों का भारत : मेरे स्वप्नों का भारत - हम सबके स्वप्नों का भारत! आओ मिलकर उसे बनायें!
1) वह कैसा है और उसका प्रारूप क्या है!
2) वह ऐसा श्रेष्ठ होने पर भी 1000 वर्ष अंधकार में क्यों भटकता रहा?
3) इस दिशा में क्या अन्य प्रयास भी हैं,परिणाम ?
4) उपरोक्त क्रम 2 व 3 को दोषमुक्त कर क्रम 1 को पूरा कैसे किया जायेगा?
सफलता का विश्वास : मेरे जीवन भर की तपस्या का अनुभव,अथक अनंत संघर्ष, आपका सहयोग व माँ भारती के प्रति हम सब का प्रेम यह सब कसोटी पर खरे उतरें तो सफलता को तो आना ही होगा !कभी विश्वगुरु रहे भारत की धर्म संस्कृति की पताका, विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये!- तिलक विस्तार से जानिए: तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, SvapnonKaBharat@Hotmail.com myspace- SvapnonKaBharat.spaces.live.com/
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भारत माँ के सपूतों का अपना मंच, केवल सत्ता परिवर्तन का मार्ग तो जेपी आन्दोलन से मिल गया! हमें उपरोक्त को ध्यान में रखते जो मैकाले ने किया उसका अमूल चूल परिवर्तन जो अनुकूल हो केवल उसे स्वीकारें! हम अपने लिए स्वार्थी न बनें किन्तु राष्ट्र व समाज के लिए महास्वार्थी बनें, अपने देश व समाज का हित में कभी नहीं त्याग सकता! मैंने तो मैकाले की इस बात को पकड़ा है, उसकी शिक्षा को नहीं! Join us to Bring VishvaGuru Back on Track.
Comments
और भारत स्वाभिमान के सदस्यों की संख्या भी लाखों में पहुँच चुकी है | वह अपनी कुल्हाड़ी को इतनी बड़ी और मजबूत बना कर इस कार्य में लग गए हैं कि आम जन को भी अब उन पर विश्वास हो गया है सब यही कहते हैं कि अब तो अगर कोई भला कर सकता है तो बाबा रामदेव हैं | मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि वैसे तो शायद आप अनभिज्ञ नहीं होंगे अगर हैं भी तो स्वामी रामदेव जी से, उनके संगठन से जुड़िये और उनकी कुल्हाड़ी को भी शक्ति प्रदान कीजिये | ऐसी सभी शक्तियों को इस समय bharatswabhimanturst.org का साथ देकर अपने प्रयासों को सार्थक रूप देना चाहिए |