आई एस आई एस का भर्ती केंद्र -उल्टा प्रदेश
आई एस आई एस का भर्ती केंद्र -उल्टा प्रदेश
उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री मोहम्मद आजम खां मुस्लिम समुदाय का नेता बनने की आकांक्षा में नित्य प्रति जो वातावरण विषाक्त कर रहे हैं, उसके चलते विधानसभा चुनाव के पूर्व राज्य के वातावरण में सांप्रदायिक उन्माद को बढ़ावा मिल रहा है। आजम खां ने 2017 के विधानसभा चुनाव के लिए मुसलमानों को एकजुट होने के लिए प्रेरित किया है। कानून के अनुसार सांप्रदायिक आधार पर एकजुटता की अभिव्यक्ति अपराध है। जिस व्यक्ति ने ''सबके साथ न्याय'' की संवैधानिक शपथ ली हो, उसके द्वारा ऐसी अभिव्यक्ति नितांत अनुचित व महाअपराध बन जाता है। उसे मंत्री रहने का कोई अधिकार नहीं है। उनके वक्तव्य की प्रतिक्रिया में ही हिन्दू महासभा के एक कथित नेता ने पैगम्बर मोहम्मद साहब के बारे में ऐसी अभिव्यक्ति कर दी, जिससे सारा मुस्लिम समाज उत्तेजित हो उठा।
उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री मोहम्मद आजम खां मुस्लिम समुदाय का नेता बनने की आकांक्षा में नित्य प्रति जो वातावरण विषाक्त कर रहे हैं, उसके चलते विधानसभा चुनाव के पूर्व राज्य के वातावरण में सांप्रदायिक उन्माद को बढ़ावा मिल रहा है। आजम खां ने 2017 के विधानसभा चुनाव के लिए मुसलमानों को एकजुट होने के लिए प्रेरित किया है। कानून के अनुसार सांप्रदायिक आधार पर एकजुटता की अभिव्यक्ति अपराध है। जिस व्यक्ति ने ''सबके साथ न्याय'' की संवैधानिक शपथ ली हो, उसके द्वारा ऐसी अभिव्यक्ति नितांत अनुचित व महाअपराध बन जाता है। उसे मंत्री रहने का कोई अधिकार नहीं है। उनके वक्तव्य की प्रतिक्रिया में ही हिन्दू महासभा के एक कथित नेता ने पैगम्बर मोहम्मद साहब के बारे में ऐसी अभिव्यक्ति कर दी, जिससे सारा मुस्लिम समाज उत्तेजित हो उठा।
आजम खां ने राज्य सरकार के कई सौ करोड़ के बजट से मौलाना मोहम्मद अली जौहर के नाम से एक ''विश्वविद्यालय'' स्थापित किया है, जिसके वे आजीवन चांसलर होंगे और उनकी पत्नी सचिव। जिन्हें इतिहास का ज्ञान है, वे यह जानते हैं कि अंग्रेजों ने 1902 में, बंगाल को दो भागों में बांटने का निर्णय कर दिया था। उसके विरुद्ध हिन्दू और मुसलमान एकजुट हो गए और अंग्रेजों को अपना निर्णय वापिस लेना पड़ा था। 1857 के बाद इस अभूतपूर्व एकजुटता से घबराए अंग्रेजो ने इस एकता को तोड़ने के लिए 1906 में ढाका के नवाब को मुखौटा बनाकर मुस्लिम लीग की स्थापना करवाई। जिसके पहले सम्मेलन में मौलाना मोहम्मद अली जौहर ने ''ग्रीन चार्टर'' पेशकर मुस्लिम बहुल प्रदेशों की रचना का प्रस्ताव किया और प्रथम गोलमेज सम्मेलन के पूर्व इंगलैंड के गृह सचिव को पत्र लिखित चेतावनी दी कि यदि प्रदेशों की रचना नहीं हुई, तो खून की नदियां बह जाएगी। मौलाना तो चले गए किन्तु मुस्लिम बहुल आबादी का पाकिस्तान बनाने के लिए कितना रक्तपात हुआ है, उसके प्रत्यक्षदर्शी अभी भी जीवित हैं। मौलाना को महत्मा गांधी ने ''हिन्दू मुस्लिम एकता'' के लिए कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया था, जिन्होंने बाद में एक ''मुस्लिम गुण्डे'' को गांधी से बेहतर बताया था। अपनी वाचलता से घृणा का भँवर लाने वाले मौलाना मुस्लिम लीग में भी नहीं रहे। गोलमेज सम्मेलन में वे ''मुसलमानों'' का प्रतिनिधित्व करने के लिए अलग से पहुंचे थे, किन्तु सम्मेलन के पहले ही उनका निधन हो गया। भारत में दफनाया जाना उनको पसंद नहीं था, वे मक्का में दफनाया जाना चाहते थे, किन्तु वहां की सरकार ने इसके लिए अनुमति नहीं दी। तब संभवतः उनको यमन में दफनाया गया।
समय समय पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष के लिए सिरदर्द बनने के बाद भी अखिलेश मंत्रिमंडल के सदस्य आजम खां के प्रेरक मौलाना जौहर ही हैं। वह समय समय पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुलायम सिंह को घुटने टेकने या अपमानित कर, यह प्रमाण देते रहते हैं कि मुख्यमंत्री कोई हो शासन उनका ही चलता है। अब तो उन्होंने दावा किया है कि वे प्रधानमंत्री बनेंगे और मुलायम सिंह यादव ही उनके नाम का प्रस्ताव करेंगे।
अनेकानेक उत्तेजित करने वाली अभिव्यक्तियों के बीच, अभी उन्होंने यह कह डाला कि 2002 में गुजरात की जैसी स्थिति थी, वैसी इस समय सारे देश में पैदा हो गई है। ज्ञात हो कि गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर रेलगाड़ी में सवार 69 कारसेवकों को जीवित जला देने की घटना के बाद वहां दंगा भड़का था, जिसमें कई सौ लोग मारे गए थे। तो क्या देश में ऐसा वातावरण है कि गोधरा दोहराया जायेगा और उसकी प्रतिक्रिया स्वरूप भीषण दंगा होगा? पाकिस्तान प्रेरित अनेक संगठनों के लिए बारकुनों की भर्ती का सबसे उपयुक्त स्थान बना उत्तर प्रदेश इस समय इस्लामिक स्टेट संगठन के लिए भर्ती का मुख्य केंद्र बनता जा रहा है। आजमगढ़ और सम्भल जनपदों में उनकी गतिविधियों के जो प्रयास प्रगट हुए हैं, उससे मुस्लिम समुदाय भी चिंतित है।
अनेकानेक उत्तेजित करने वाली अभिव्यक्तियों के बीच, अभी उन्होंने यह कह डाला कि 2002 में गुजरात की जैसी स्थिति थी, वैसी इस समय सारे देश में पैदा हो गई है। ज्ञात हो कि गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर रेलगाड़ी में सवार 69 कारसेवकों को जीवित जला देने की घटना के बाद वहां दंगा भड़का था, जिसमें कई सौ लोग मारे गए थे। तो क्या देश में ऐसा वातावरण है कि गोधरा दोहराया जायेगा और उसकी प्रतिक्रिया स्वरूप भीषण दंगा होगा? पाकिस्तान प्रेरित अनेक संगठनों के लिए बारकुनों की भर्ती का सबसे उपयुक्त स्थान बना उत्तर प्रदेश इस समय इस्लामिक स्टेट संगठन के लिए भर्ती का मुख्य केंद्र बनता जा रहा है। आजमगढ़ और सम्भल जनपदों में उनकी गतिविधियों के जो प्रयास प्रगट हुए हैं, उससे मुस्लिम समुदाय भी चिंतित है।
सामूहिक रूप से जब मुस्लिमों ने पेरिस में हुए हमले की भर्त्सना करते हुए इस्लाम की शांति का संदेश दिया तो आजम खां ने आईएस समर्थक होना पसंद किया। उन्होंने कहा कि ऐसा कांड किस बात की प्रतिक्रिया है, इस पर भी ध्यान देना चाहिए। आजम खां मुसलमानों में लोकप्रिय नहीं हैं। समाजवादी पार्टी में ही जो मुसलमान हैं, वे उनको नेता मानने के लिए तैयार नहीं हैं। दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम हों या फिर बरेलवी पंथ के लोग, आजम खां से उनका छत्तीस का सम्बन्ध रहा है, आज भी है। शिया समुदाय के लोग तो उन्हें अपना सबसे बड़ा शत्रु मानते हैं। ऐसे वातावरण में मुस्लिम नेता बनने के लिए उन्होंने कटु अभिव्यक्तियों के माध्यम से उत्तेजना फैलाकर मुसलमानों का नेतृत्व संभालने का जो अभियान चलाया है, उसकी प्रतिक्रिया भी हुई है।
ऐसे में सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि स्पष्ट संकेत देने का साहस मुस्लिम समाज में है क्या ?
इतिहास साक्षी है कि इस्लामिक कट्टर पंथ के समक्ष, हिन्दू समाज का चिंतन सदा मानवीय रहा है और परिस्थितिवश कभी आत्मरक्षा का भाव आवेश का कारण बना भी, तो उसे भी अनुचित न होते हुए भी, हिन्दुओं ने ही उसे सबसे पहले अनुचित ठहरा दिया। इस विरोध में सांप्रदायिक सद्भाव के नाम वे राष्ट्रद्रोह की सीमा तक चले गए। अब देखना यह है कि सांप्रदायिक सद्भाव और एकता के लिए भारत का मुसलमान आज़म खान का विरोध करता है या नहीं और किस सीमा तक जा कर।
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |ऐसे में सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि स्पष्ट संकेत देने का साहस मुस्लिम समाज में है क्या ?
इतिहास साक्षी है कि इस्लामिक कट्टर पंथ के समक्ष, हिन्दू समाज का चिंतन सदा मानवीय रहा है और परिस्थितिवश कभी आत्मरक्षा का भाव आवेश का कारण बना भी, तो उसे भी अनुचित न होते हुए भी, हिन्दुओं ने ही उसे सबसे पहले अनुचित ठहरा दिया। इस विरोध में सांप्रदायिक सद्भाव के नाम वे राष्ट्रद्रोह की सीमा तक चले गए। अब देखना यह है कि सांप्रदायिक सद्भाव और एकता के लिए भारत का मुसलमान आज़म खान का विरोध करता है या नहीं और किस सीमा तक जा कर।
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका;
विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
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